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Taalda rawi || ishq shayari

ਟਾਲਦਾ ਰਵੀ ਤੂੰ ਤੇਰੀ ਮੇਰੀ ਇਸ਼ਕ ਦੀ ਬਾਤਾਂ ਨੂੰ

ਜੇ ਚਾਹਾਂ ਉਸ ਰੱਬ ਨੇ ਓਹਣੇ ਬਦਲ ਦੇਣਾ ਐ ਹਲਾਤਾਂ ਨੂੰ

ਫਿਰ ਤੇਰਾ ਵੀ ਕੋਈ ਜ਼ੋਰ ਨੀ ਰੇਹ ਨਾ ਇਸ ਦਿਲ ਤੇ

ਫੇਰ ਹਰ ਥਾਂ ਤੇ ਮੇਰਾ ਹੀ ਚੇਹਰਾ ਦਿੱਸਣਾ ਔਰ ਯਾਦ ਕਰੇਗਾ ਮੇਰਿਆਂ ਹੀ ਬਾਤਾਂ ਨੂੰ

ਬਾਲਾਂ ਚੋਰ ਹੂੰਦਾ ਐਂ ਇਸ਼ਕ

ਖੋ ਲੈ ਜਾਂਦਾ ਫਿਰ ਹਰ ਇੱਕ ਜਜ਼ਬਾਤਾਂ ਨੂੰ

ਨਾ ਪੈ ਤੂੰ ਹੁਣ ਮੈਂ ਤਾਂ ਪੈ ਗਿਆ ਇਸ਼ਕ ਚ

ਤੇਰਾਂ ਇਹਨੇ ਸਭ ਲੁਟ ਲੈ ਜਾਣਾ ਚੇਨ ਵੀ ਤੇਰਾ ਰੇਹ ਨਾ ਨੀ

ਬਾਲਾਂ ਮਿੱਠਾ ਲਗਦਾ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਚ

ਫਿਰ ਹਾਲ ਤੇਰਾ ਇਦਾਂ ਦਾ ਕਰ ਦੇਣਾ ਇਹਨੇ ਫਿਰ ਸਜਣਾਂ ਤੋਂ ਬਗੈਰ ਤੂੰ ਰਹਿਣਾ ਨੀ

ਫਿਰ ਰੋਏਗਾ ਹੰਜੂਆ ਤੋਂ ਬਗੈਰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਨੀ ਰਹਿਣਾ ਤੇਰੇ ਕੋਲ਼

ਰਾਤਾਂ ਕਾਲੀਆਂ ਕਟੇਗਾ ਕਲਾ ਰਾਤਾਂ ਨੂੰ ਤੂੰ ਫਿਰ ਸੋਣਾ ਨੀ

—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ 🌷

Title: Taalda rawi || ishq shayari

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


chhoti chhotti baaton par || Hindi shayari loev and sad

CHHOTI CHHOTTI BAATON PAR || HINDI SHAYARI LOEV AND SAD
Chhoti chotti baaton par yun na rootha karo
yeh maine tumhe pehle din se bola hai
bta mujhe kyu galat hu mai
kyunki maine to bas tujhe khone ke dar se jhooth bola hai




Jaise ko taisa || panchtantar ki kahani

एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष सम्पत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । उसे एक महाजन के पास धरोहर रखकर वह विदेश चला गया । विदेश स वापिस आने के बाद उसने महाजन से अपनी धरोहर वापिस मांगी । महाजन ने कहा—-“वह लोहे की तराजू तो चूहों ने खा ली ।”
बनिये का लड़का समझ गया कि वह उस तराजू को देना नहीं चाहता । किन्तु अब उपाय कोई नहीं था । कुछ देर सोचकर उसने कहा—“कोई चिन्ता नहीं । चुहों ने खा डाली तो चूहों का दोष है, तुम्हारा नहीं । तुम इसकी चिन्ता न करो ।”
थोड़ी देर बाद उसने महाजन से कहा—-“मित्र ! मैं नदी पर स्नान के लिए जा रहा हूँ । तुम अपने पुत्र धनदेव को मेरे साथ भेज दो, वह भी नहा आयेगा ।”
महाजन बनिये की सज्जनता से बहुत प्रभावित था, इसलिए उसने तत्काल अपने पुत्र को उनके साथ नदी-स्नान के लिए भेज दिया ।
बनिये ने महाजन के पुत्र को वहाँ से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बन्द कर दिया । गुफा के द्वार पर बड़ी सी शिला रख दी, जिससे वह बचकर भाग न पाये । उसे वहाँ बंद करके जब वह महाजन के घर आया तो महाजन ने पूछा—“मेरा लड़का भी तो तेरे साथ स्नान के लिए गया था, वह कहाँ है ?”
बनिये ने कहा —-“उसे चील उठा कर ले गई है ।”
महाजन —“यह कैसे हो सकता है ? कभी चील भी इतने बड़े बच्चे को उठा कर ले जा सकती है ?”
बनिया—“भले आदमी ! यदि चील बच्चे को उठाकर नहीं ले जा सकती तो चूहे भी मन भर भारी तराजू को नहीं खा सकते । तुझे बच्चा चाहिए तो तराजू निकाल कर दे दे ।”
इसी तरह विवाद करते हुए दोनों राजमहल में पहुँचे । वहाँ न्यायाधिकारी के सामने महाजन ने अपनी दुःख-कथा सुनाते हुए कहा कि, “इस बनिये ने मेरा लड़का चुरा लिया है ।”
धर्माधिकारी ने बनिये से कहा —“इसका लड़का इसे दे दो ।
बनिया बोल—-“महाराज ! उसे तो चील उठा ले गई है ।”
धर्माधिकारी —-“क्या कभी चील भी बच्चे को उठा ले जा सकती है ?”
बनिया —-“प्रभु ! यदि मन भर भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं तो चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है ।”
धर्माधिकारी के प्रश्‍न पर बनिये ने अपनी तराजू का सब वृत्तान्त कह सुनाया ।

सीख : जैसे को तैसा

Title: Jaise ko taisa || panchtantar ki kahani