थोड़ा मुस्कुरा दे ए काफ़िर,
के कयामत बीत गई,
मायूसी तो रहेगी ही चेहरे पर,
फिर आशियाना बसाते बसाते...
Well done is better than well said
थोड़ा मुस्कुरा दे ए काफ़िर,
के कयामत बीत गई,
मायूसी तो रहेगी ही चेहरे पर,
फिर आशियाना बसाते बसाते...
एक बचपन का जमाना था
जहाँ खुशियों का खजाना था
चाहत चांद को पाने कि थी
पर दिल तितली का दिवाना था
ना खबर अपनी थी
ना शाम का ठिकाना था
माँ की कहानी थी
परियों का फसाना था
क्यो हो गए आज हम इतने बड़े
इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था❤️