Waqt disda tan nahi par dikha bahut kujh janda hai
ਵਕ਼ਤ ਦਿੱਸਦਾ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਪਰ ਦਿਖਾ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
Waqt disda tan nahi par dikha bahut kujh janda hai
ਵਕ਼ਤ ਦਿੱਸਦਾ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਪਰ ਦਿਖਾ ਬਹੁਤ ਕੁਝ ਜਾਂਦਾ ਹੈ
रूप था उसका बहुत विशाल, राक्षस था वो बहुत भारी..
नाम था दशानन उसका, बुद्धि न जिसकी किसी से हारी..
हर कोई डरता था उससे, हो देव, दैत्य, चाहे नर-नारी..
प्रकोप था जिसका लोकों में, धरती कांपती थी सारी..
देखके ताकत को उसकी, भागे खड़े पैर बड़े बाल-धारी..
विशाल साम्राज्य पर उसके, भारी पड़ गई बस एक नारी..
घमंड को उसके चूर कर दिया, कहा समझ ना तू निर्बल नारी..
विधवंश का तेरे समय आ गया, ले आ गयी देख तेरी बारी..
लंका में बचेगा ना जीव कोई, मति जो गई तेरी मारी..
आराध्य से मेरे दूर कर दिया, भुगतेगी तेरी पीढी सारी..
रघुनंदन आए कर सागर पार, आए संग वानर गदा धारी..
एक-एक कर सबको मोक्ष दिया, सियाराम चरण लागी दुनिया सारी..
Jab Tak Tha Dam Mein Dam Na Dabe Aasmaan Se Hum,
Jab Dam Nikal Gaya Toh Zameen Ne Dabaa Liya.
जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम,
जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया।