ख़ुद को हम यूँ तबाह कर लेंगे
ख़ूबसूरत गुनाह कर लेंगे
सारी दुनिया से हो के बे-परवा
उस की जानिब निगाह कर लेंगे
उस की आँखों में डूबने के लिए
अपने दिल से सलाह कर लेंगे
ख़ुद को हम यूँ तबाह कर लेंगे
ख़ूबसूरत गुनाह कर लेंगे
सारी दुनिया से हो के बे-परवा
उस की जानिब निगाह कर लेंगे
उस की आँखों में डूबने के लिए
अपने दिल से सलाह कर लेंगे
Bhut c nazre hain hum pe bhi
Tum fakhr kiya kro
Jo Humari nazar tumpe rehti hai❤️..!!
बहुत सी नज़रें हैं हम पे भी
तुम फख्र किया करो
जो हमारी नज़र तुमपे रहती है❤️..!!
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
मैं अब के साल परिंदों का दिन मनाऊँगा
मिरी क़रीब के जंगल से बात हो गई है
बिछड़ के तुझ से न ख़ुश रह सकूँगा सोचा था
तिरी जुदाई ही वज्ह-ए-नशात हो गई है
बदन में एक तरफ़ दिन तुलूअ’ मैं ने किया
बदन के दूसरे हिस्से में रात हो गई है
मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है
रहेगा याद मदीने से वापसी का सफ़र
मैं नज़्म लिखने लगा था कि ना’त हो गई है