ना कोई गुनाह किया , ना कोई मुकदमा हुआ..!
ना अदालत सजाई गई, ना कोई दलिले हुई..!
किस किस से मांगे हम गवाही वफ़ा कि !
उसने छोड़ा भरे बाज़ार हमे, ये ज़माना जानता है!
Enjoy Every Movement of life!
ना कोई गुनाह किया , ना कोई मुकदमा हुआ..!
ना अदालत सजाई गई, ना कोई दलिले हुई..!
किस किस से मांगे हम गवाही वफ़ा कि !
उसने छोड़ा भरे बाज़ार हमे, ये ज़माना जानता है!
१ के कलियों सी मुस्कुराती हो
फूलो सी सरमति हो
और पता नही क्यों
तुम मुझे इस तरह देखकर
यू फिसल जाती हो
२ के तुम्हारी आंखों को देखकर
कयामत आ जाती है
और तुम मेरे दिल में बसी हो इस तरह
के मौत भी दूर भागती है
छुपा तो यही है
तुमसे ढूंढा नही जा रहा तो बताओ
मोहब्बत सच्ची है या झूठी छोड़ो ना
तुम्हे मज़ा नही आ रहा तो बताओ