वक़्त होकर भी मुझे वक़्त ना देना, तेरी आदत सी हो गई है.. मगर तेरे वक़्त का इंतज़ार करना, मेरी इबादत सी हो गई है.. सेहमे हुए होठों से ये पूछने को दिल तो करता है.... क्या तेरे प्यार की इस जंग में मेरी, शहादत सी हो गई है..
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वक़्त होकर भी मुझे वक़्त ना देना, तेरी आदत सी हो गई है.. मगर तेरे वक़्त का इंतज़ार करना, मेरी इबादत सी हो गई है.. सेहमे हुए होठों से ये पूछने को दिल तो करता है.... क्या तेरे प्यार की इस जंग में मेरी, शहादत सी हो गई है..
उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं
सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं
इक बीमार वसीयत करने वाला है
रिश्ते नाते जीभ निकाल बैठे हैं
बस्ती का मामूल पे आना मुश्किल है
चौराहे पर वर्दी वाले बैठे हैं
धागे पर लटकी है इज़्ज़त लोगों की
सब अपनी दस्तार सँभाले बैठे हैं
साहब-ज़ादा पिछली रात से ग़ायब है
घर के अंदर रिश्ते वाले बैठे हैं
आज शिकारी की झोली भर जाएगी
आज परिंदे गर्दन डाले बैठे हैं