Wo Mohabbat Bhi Teri Thi, Wo Nafrat Bhi Teri Thi
Wo Apnapan Aur Thukrane Ki Ada Bhi Teri Thi
Hum Apni Wafa Ka Insaf Kisse Maangte,
Wo Shehar Bhi Tera Tha Aur Adalat Bhi Teri Thi!
Wo Mohabbat Bhi Teri Thi, Wo Nafrat Bhi Teri Thi
Wo Apnapan Aur Thukrane Ki Ada Bhi Teri Thi
Hum Apni Wafa Ka Insaf Kisse Maangte,
Wo Shehar Bhi Tera Tha Aur Adalat Bhi Teri Thi!
है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
जितना है इधर उधर भी होगा
माना ये के दिल है उस का पत्थर
पत्थर में निहाँ शरर भी होगा
हँसने दे उसे लहद पे मेरी
इक दिन वही नौहा-गर भी होगा
नाला मेरा गर कोई शजर है
इक रोज़ ये बार-वर भी होगा
नादाँ न समझ जहान को घर
इस घर से कभी सफ़र भी होगा
मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद
मिट्टी तेरे तन का घर भी होगा
ज़ुल्फ़ों से जो उस की छाएगी रात
चेहरे से अयाँ क़मर भी होगा
गाली से न डर जो दें वो बोसा
है नफ़ा जहाँ ज़रर भी होगा
रखता है जो पाँव रख समझ कर
इस राह में नज़्र सर भी होगा
उस बज़्म की आरज़ू है बे-कार
हम सूँ का वहाँ गुज़र भी होगा
‘शहबाज़’ में ऐब ही नहीं कुल
एक आध कोई हुनर भी होगा
ਯਾਦ ਆ ਤੇਰੀ ਹਰ ਗੱਲ
ਜੋ ਸੁੱਪਨੇ ਵੇਖੇ ਸੀ ਦੋਨਾ ਮਿਲ
ਪੂਰੇ ਕਰ ਰਹਿ ਆ ਅੱਜਕੱਲ
ਕੀ ਬੜਾ ਹਰਫ ਜਿਹੀਆ ਹੁੰਦਾ
ਬੜਾ ਦਰਦ ਜਿਹੀਆ ਹੁੰਦਾ
ਤੁਹੀ ਕਹਿਆ ਸੀ ਬਿਨ ਰਹਿਣਾ ਸਿਖ ਜਾਵੇਗੀ ਦੇਖ ਤੇਰਾ ਕਮਲੀ
ਜੀਅ ਰਹਿ ਅੱਜਕੱਲ
✍️ਹਰਸ