तेरे ज़ख्म को सीने से लगाए, इस ज़माने में जीने की कोशिश कर रहें हैं।
- तेरी यादें जो जहर बन गई हैं उसे दिल से निकलकर पीने की कोशिश कर रहें है
तेरे ज़ख्म को सीने से लगाए, इस ज़माने में जीने की कोशिश कर रहें हैं।
आज रूठा हुवा इक दोस्त बहुत याद आया
अच्छा गुज़रा हुवा कुछ वक़्त बहुत याद आया.
मेरी आँखों के हर इक अश्क पे रोने वाला
आज जब आँख यह रोई तू बहुत याद आया .
जो मेरे दर्द को सीने में छुपा लेता था
आज जब दर्द हुवा मुझ को बहुत याद आया .
जो मेरी आँख में काजल की तारा रहता था
आज काजल जो लगाया तू बहुत याद आया .
जो मेरे दिल के था क़रीब फ़क़त उस को ही
आज जब दिल ने बुलाया तू बहुत याद आया
जो भी दुख याद न था याद आया; आज क्या जानिए क्या याद आया; याद आया था बिछड़ना तेरा; फिर नहीं याद कि क्या याद आया; हाथ उठाए था कि दिल बैठ गया; जाने क्या वक़्त-ए-दुआ याद आया; जिस तरह धुंध में लिपटे हुए फूल; इक इक नक़्श तेरा याद आया; ये मोहब्बत भी है क्या रोग जिसको भूले वो सदा याद आया।