You are a delicate carving of my food.
You are a delicate carving of my food.
कब्र दर कब्र इक इश्तिहार जा रहा है,
अपना था कोई वो जो दूर जा रहा है,
मोहब्बत सही, इश्क सही, पास नहीं है अब,
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...
जो अपने थे वो चले गए....
हर वक्त आंसू पोंछने कोई पास आ रहा है,
मालूम है वो भी चला जायेगा फिर आंसू देकर,
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...
मतलबी, बेशर्म, बेईमान है दुनिया सारी
मालूम है की जीने नहीं देगी... देखो...
मेरी कब्र से भी मेरा इश्तिहार आ रहा है...
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...
जय भारतीय किसान
तुमने कभी नहीं किया विश्राम
हर दिन तुमने किया है काम
सेहत पर अपने दो तुम ध्यान
जय भारतीय किसान.
अपना मेहनत लगा के
रूखी सूखी रोटी खा के
उगा रहे हो तुम अब धान
जय भारतीय किसान.
तरुण चौधरी