तमन्ना है नासमझ रहकर जीने की ज़िंदगी है कि समझदार बनाए जा रही है 
Enjoy Every Movement of life!
तमन्ना है नासमझ रहकर जीने की ज़िंदगी है कि समझदार बनाए जा रही है 
आ भर लूं तुझे आंखों के प्यालों में,
कहीं और जाने दूं तो कैसे...
कोशिशें तो करता हूं हरपल,
आंखो में नमी आने दूं तो कैसे...
वो दौर भी इश्क़ का आकर
गुज़र गया इक लम्हा हो जैसे...
सिमट जाऊंगा सुलगती चंद लकड़ियों में
पर तेरे कानों तक ये बात जाने दूं तो कैसे...
