इस ग़म के सवेरे में अजीब सा साया है,
दरवाज़े पर मेरे इक फकीर आया है,
उसे भूख है, मुझे अंधेरों ने खाया है,
जो था सब उसे नज़र कैसे ना करता,
वो मेरे लिए मुट्ठी भर रौशनी लाया है…🍂
इस ग़म के सवेरे में अजीब सा साया है,
दरवाज़े पर मेरे इक फकीर आया है,
उसे भूख है, मुझे अंधेरों ने खाया है,
जो था सब उसे नज़र कैसे ना करता,
वो मेरे लिए मुट्ठी भर रौशनी लाया है…🍂
saal ho gya tainu dekhe bina
pata ni tu kive hona
tu taa chhad gya c ikalla mainu
kehnde loki likhiyaa hunda aashq di kismat ch kalla rona
ਸਾਲ ਹੋ ਗਿਆ ਤੈਨੂੰ ਦੇਖੇਂ ਬਿਨਾ
ਪਤਾ ਨੀ ਤੂੰ ਕਿਦਾਂ ਹੋਣਾ
ਤੂੰ ਤਾ ਛੱਡ ਗਿਆ ਸੀ ਇਕੱਲਾ ਮੈਨੂੰ
ਕੇਹਂਦੇ ਲੋਕੀਂ ਲਿਖਿਆ ਹੂੰਦਾ ਆਸ਼ਕ ਦੀ ਕਿਸਮਤ ਚ ਕਲਾਂ ਰੋਣਾ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ 🌷