*लखनऊ* की शाम थी, पर *तन्हा* थे हम ।
*मुमकिन* होता तुम मेरे होते तो *साथ* होते हम ।।
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*लखनऊ* की शाम थी, पर *तन्हा* थे हम ।
*मुमकिन* होता तुम मेरे होते तो *साथ* होते हम ।।
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आखिर वही उदासियाँ आखिर वही गिले!
काफ़िर वही उदासियाँ काफ़िर वही गिले!
हमको तुम्हारे इश्क़ ने बख्शे हैं बार बार!
फिर फिर वही उदासियाँ फिर फिर वही गिले!!
हर्ष