महंगा लिबास नहीं,
खाली जेब का हिसाब नहीं,
निखारनी है सीरत,
मुझे निखरी सूरत का क्या पता...
खुशियों की छांव नहीं,
ठंडी छांव में पांव नहीं,
मुझे मखमली चादर में सोने का
खिताब क्या पता...
पता है उन सुखी रोटियों की कीमत
जो किसी ने हाथ में थमा दी,
हं, मैं फकीर हूं,
मुझे सोने चांदी की कीमत क्या पता...