*लखनऊ* की शाम थी, पर *तन्हा* थे हम ।
*मुमकिन* होता तुम मेरे होते तो *साथ* होते हम ।।
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*लखनऊ* की शाम थी, पर *तन्हा* थे हम ।
*मुमकिन* होता तुम मेरे होते तो *साथ* होते हम ।।
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मुठ्ठी भर ज़मीं में अपनी भुख़ बो रहा हूं,
मिट्टी तन पर लगी थी पर कमीज़ धों रहा हूं,
रो रहा हूं के बारिश की बूंदे बहुत कम थी, पर
कहूंगा नहीं भूखे पेट ना जाने कबसे सो रहा हूं...
Kise kam na aayea jo schoola vich likheya,
Asli tarika jion da duniya to sikheya 🙌
ਕਿਸੇ ਕੰਮ ਨਾ ਆਇਆ ਜੋ ਸਕੂਲਾਂ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ,
ਅਸਲੀ ਤਰੀਕਾ ਜਿਉਣ ਦਾ ਦੁਨੀਆ ਤੋਂ ਸਿਖਿਆ 🙌