कितना हारा होगा हमारा दिल
जब किसे ने सवारा होगा तुम्हारा दिल
टुकड़े इतने की गिन नही पाओ गी
टाके इतने की सिल नही पाओ गी
मेरी इस हालत पे भी मुंह मोड़ लिया
क्या प्थर हो गया है तुम्हारा दिल
कितना हारा होगा हमारा दिल
जब किसे ने सवारा होगा तुम्हारा दिल
टुकड़े इतने की गिन नही पाओ गी
टाके इतने की सिल नही पाओ गी
मेरी इस हालत पे भी मुंह मोड़ लिया
क्या प्थर हो गया है तुम्हारा दिल
ki likhiyaa kise mukkadar c
hathan diyaan chaar lakiraan da
me dard nu kaba keh baitha
te rabb naam rakh baitha peedha da
ਕੀ ਲਿਖਿਆ ਕਿਸੇ ਮੁਕੱਦਰ ਸੀ
ਹੱਥਾਂ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਲਕੀਰਾਂ ਦਾ
ਮੈਂ ਦਰਦ ਨੂੰ ਕਾਬਾ ਕਹਿ ਬੈਠਾ
ਤੇ ਰੱਭ ਨਾਮ ਰੱਖ ਬੈਠਾਂ ਪੀੜਾਂ ਦਾ
नज़र भी तलाशे किसी डगर पर खड़ा, कोई हमसफ़र काश मुझे मिल जाए..
जिसके साथ शुरू मैं करलूँ आखिर, नया जिदगी का कोई सफर मिल जाए..
कहीं अटकूं जो गर किसी राह पर, हाथों से हाथ इस कदर मिल जाए..
हमें भी हमारी जिंदगी में कोई ऐसा, निगेबान हमकदर मिल जाए..