Jithe kadar na howe
othe rehna fazool hai
fir chahe oh kise da ghar howe
chahe kise da dil howe
ਜਿੱਥੇ ਕਦਰ ਨਾ ਹੋਵੇ,
ਉੱਥੇ ਰਹਿਣਾ ਫਜ਼ੂਲ ਹੈ।
ਫਿਰ ਚਾਹੇ ਉਹ ਕਿਸੇ ਦਾ ਘਰ ਹੋਵੇ,
ਚਾਹੇ ਕਿਸੇ ਦਾ ਦਿਲ ਹੋਵੇ।।
Jithe kadar na howe
othe rehna fazool hai
fir chahe oh kise da ghar howe
chahe kise da dil howe
ਜਿੱਥੇ ਕਦਰ ਨਾ ਹੋਵੇ,
ਉੱਥੇ ਰਹਿਣਾ ਫਜ਼ੂਲ ਹੈ।
ਫਿਰ ਚਾਹੇ ਉਹ ਕਿਸੇ ਦਾ ਘਰ ਹੋਵੇ,
ਚਾਹੇ ਕਿਸੇ ਦਾ ਦਿਲ ਹੋਵੇ।।
“सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई,
क्या जितना था वो काफी नहीं था
“सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
प्रेम होना चाहिए सहज, सरल
जो आपको खुद के साथ
बहाव ले जाऐ…कहीं दूर बहुत दूर
जहाँ जरूरतों का जिक्र ही ना हो
सब कुछ एक एहसास में दफ़न हो जाए
प्रेम में कोशिश होनी चाहिए तो बस
कभी वो रूठ जाए तो उसे मनाने की कोशिश…
कभी वो उदास हो तो उसे हंसाने की कोशिश…
प्रेम से बिगड़ी बात बनाने की कोशिश..
वो बेवजह तेरी चुप्पी जानने की कोशिश….
तेरा हाथ थाम कर मुश्किल राहों मैं तुझे समझाने की कोशिश….
इतना प्रेम करने के बाद भी तुझे न पाने की कोशिश….
तुम्हारा मेरे साथ रहना जरुरी नहीं है मेरे लिए तुम्हारा खुश और आज़ाद रहना जरुरी है ❤️🍂