pyaar kade vapaar hon lag paye
yaar de ghar e ikraar hon lag paye
ਪਿਆਰ ਵਪਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਏ,
ਯਾਰ ਦੇ ਘਰ ਈ ਇਕਰਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਏ।
..ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਔਲਖ
pyaar kade vapaar hon lag paye
yaar de ghar e ikraar hon lag paye
ਪਿਆਰ ਵਪਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਏ,
ਯਾਰ ਦੇ ਘਰ ਈ ਇਕਰਾਰ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਏ।
..ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਔਲਖ
हर दिन वही सूरज निकलता है,
हर रात वही चाँद भी चमकता है,
आसमान भी वही है और इंसान भी।
तो फिर हर दिन नया सा क्यों लगता है…
नई उम्मीद से जीने का हौसला कहाँ से मिलता है…
ये ख़ुदा, तेरी कुदरत का क्या कहें…
इंसान जितना भी पुराना हो,
ज़िंदगी का हर दिन एक नया सफ़र बन जाता है।
हर रात वही चाँद भी चमकता है,
आसमान भी वही है और इंसान भी।
तो फिर हर दिन नया सा क्यों लगता है…
नई उम्मीद से जीने का हौसला कहाँ से मिलता है…
ये ख़ुदा, तेरी कुदरत का क्या कहें…
इंसान जितना भी पुराना हो,
ज़िंदगी का हर दिन एक नया सफ़र बन जाता है।” target=”_blank” rel=”noopener noreferrer nofolllow external”>Translate Facebook Whatsapp