
Nede rakh ke dil de pehla door hun das jawe kyu..!!
चलो किसी पुराने दौर की बात करते हैं,
कुछ अपनी सी और कुछ अपनों कि बात करते हैं…
बात उस वक्त की है जब मेरी मां मुझे दुलारा करती थी,
नज़रों से दुनिया की बचा कर मुझे संवारा करती थी,
गलती पर मेरी अकेले डांट कर पापा से छुपाया करती थी,
और पापा के मुझे डांटने पर पापा से बचाया करती थी…
मुझे कुछ होता तो वो भी कहाँ सोया करती थी,
देखा है मैंने,
वो रात भर बैठकर मेरे बाल संवारा करती थी,
घर से दूर आकर वो वक्त याद आता है,
दिन भर की थकान के बाद अब रात के खाने में, कहां मां के हाथ का स्वाद आता है,
मखमल की चादर भी अब नहीं रास आती है,
माँ की गोद में जब सिर हो उससे अच्छी नींद और कहाँ आती है…
Pagl ho rahe haan har roj teri mohobbat ch
Te tenu mere sajjna koi khabran hi naa..!!
ਪਾਗਲ ਹੋ ਰਹੇ ਹਾਂ ਹਰ ਰੋਜ ਤੇਰੀ ਮੋਹੁੱਬਤ ‘ਚ
ਤੇ ਤੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਸੱਜਣਾ ਕੋਈ ਖਬਰਾਂ ਹੀ ਨਾ..!!