मुठ्ठी भर ज़मीं में अपनी भुख़ बो रहा हूं,
मिट्टी तन पर लगी थी पर कमीज़ धों रहा हूं,
रो रहा हूं के बारिश की बूंदे बहुत कम थी, पर
कहूंगा नहीं भूखे पेट ना जाने कबसे सो रहा हूं...
Enjoy Every Movement of life!
मुठ्ठी भर ज़मीं में अपनी भुख़ बो रहा हूं,
मिट्टी तन पर लगी थी पर कमीज़ धों रहा हूं,
रो रहा हूं के बारिश की बूंदे बहुत कम थी, पर
कहूंगा नहीं भूखे पेट ना जाने कबसे सो रहा हूं...
जितना तुमको चाहा था इतना किसी को न चाहेंगे,
पर अफसोस इस बात का है तुमको बता न पायेंगे…
Nasha ek hi kafi hai mohabbat me
ja uske didaar ka ja uske intezaar kaਨਸ਼ਾ ਏਕ ਹੀ ਕਾਫੀ ਹੈ ਮੁਹੱਬਤ ਮੇ ,
ਜਾ ਉਸਕੇ ਦੀਦਾਰ ਕਾ ਜਾ ੳੇਸਕੇ ਇੰਤਜ਼ਾਰ ਕਾ ।