मुठ्ठी भर ज़मीं में अपनी भुख़ बो रहा हूं,
मिट्टी तन पर लगी थी पर कमीज़ धों रहा हूं,
रो रहा हूं के बारिश की बूंदे बहुत कम थी, पर
कहूंगा नहीं भूखे पेट ना जाने कबसे सो रहा हूं...
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मुठ्ठी भर ज़मीं में अपनी भुख़ बो रहा हूं,
मिट्टी तन पर लगी थी पर कमीज़ धों रहा हूं,
रो रहा हूं के बारिश की बूंदे बहुत कम थी, पर
कहूंगा नहीं भूखे पेट ना जाने कबसे सो रहा हूं...
ਇਹ ਦਿਲ ਤਾਂ ਉਸ ਪੰਛੀ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰਦਾ
ਜੋ ਆਲ੍ਹਣਾ ਤਾਂ ਪਾ ਗਿਆ
ਪਰ ਰਹਿਣਾ ਭੁੱਲ ਗਿਆ
eh dil taan us panchhi di udeek karda
jo aalna tan paa gya par rehna bhul gya
Pyar v bahut ajeeb aa
jis insaan nu paayeaa v na howe
us nu v khohan da dar lageaa rehnda
ਪਿਆਰ ਵੀ ਬਹੁਤ ਅਜੀਬ ਆ,
ਜਿਸ ਇਨਸਾਨ ਨੂੰ ਪਾਇਆ ਵੀ ਨਾ ਹੋਵੇ,
ਉਸ ਨੂੰ ਵੀ ਖੋਹਣ ਦਾ ਡਰ ਲੱਗਿਆ ਰਹਿੰਦਾ