
लेकिन खुश आज फिर भी तुम नहीं।
यह चांद बुझा-बुझा सा लग रहा है
पास से न तो दूर से ही सही ।।
दु:ख तो बहुत मुझे तेरे दर्द का
अपना ना तो पराया ही सही ।
काश ! मैं तेरे दर्द भी अपनी तरफ मोड़ पाता
पर मैं बदकिस्मत तेरे हाथ की एक लकीर तक नहीं ।।

कोई ख्वाहिश नहीं आपसे
न किसी और की तुम करना मेरे होते.
I don’t have any desire from you nor you keep any desire from anyone else until I am there.
mohobbat ho gyi, true love shayari
Us khuda ki is dil pe yun rehmat ho gyi..!!
Har khushi gm sehne k liye zindagi sehmat ho gyi..!!
Ankhein khuli rahi sari raat yun nind hamari kho gyi..!!
Zra nazar unse kya mili to mohobbat ho gyi..!!
उस खुदा की इस दिल पे यूँ रहमत हो गई..!!
हर खुशी ग़म सहने के लिए ज़िन्दगी सहमत हो गई.!!
आंखें खुली रही सारी रात यूँ नींद खो गयी हमारी खो गई..!!
ज़रा नज़र उनसे क्या मिली तो मोहोब्बत हो गई..!!