
लेकिन खुश आज फिर भी तुम नहीं।
यह चांद बुझा-बुझा सा लग रहा है
पास से न तो दूर से ही सही ।।
दु:ख तो बहुत मुझे तेरे दर्द का
अपना ना तो पराया ही सही ।
काश ! मैं तेरे दर्द भी अपनी तरफ मोड़ पाता
पर मैं बदकिस्मत तेरे हाथ की एक लकीर तक नहीं ।।
Enjoy Every Movement of life!
ਵਕ਼ਤ ਬਦਲਾਂ ਸਭ ਬਦਲੇ ਬਦਲ ਗਏ ਲ਼ੋਕ
ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਟੁੱਟੇ ਹੋਏ ਸੀ
ਜੇ ਅੱਜ ਟੁੱਟ ਗਏ ਫੇਰ ਕਾਹਦਾ ਕਿਤਾ ਜਾਵੇ ਸ਼ੋਕ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ 🌷