खमियाज़ा ए ज़िन्दगी हर पल मिलता है,
कोई कुछ वक्त तो कोई ज़िन्दगी भर साथ चलता है...
मैं अपनी राहों पर अब अकेले निकाल आया हूं,
जो वक्त सबका था कुछ अपने लिए लाया हूं...
शीशे की कब्र में दफ्न जैसे कोई राज़ हूं,
बरसों से अनसुना जैसे कोई साज़ हूं...
ज़िन्दगी का हाथ थाम कर अब चलने की गुज़ारिश है,
सपनों से तर आगे समंदर और बारिश है...
इक दिन समंदर और बारिश भी पार कर जाऊंगा,
सबकी नज़रें होगी मुझपे और मैं ज़िन्दगी गुलज़ार कर जाऊंगा....
Dasseya janda ta sab dass dinde tenu
Par Sadi mohobbat alfazan di mohtaaz nahi..!!
ਦੱਸਿਆ ਜਾਂਦਾ ਤਾਂ ਸਭ ਦੱਸ ਦਿੰਦੇ ਤੈਨੂੰ
ਪਰ ਸਾਡੀ ਮੋਹੁੱਬਤ ਅਲਫਾਜ਼ਾਂ ਦੀ ਮੋਹਤਾਜ ਨਹੀਂ..!!