ਅੱਜ ਚੰਨ ਵੀ ਇਕੱਲਾ, ਤਾਰਿਆਂ ਦੀ ਬਰਾਤ ਵਿੱਚ
ਪਰ ਦਰਦ ਚੰਨ ਦਾ ਇਹ ਚੰਦਰੀ ਰਾਤ ਨਾ ਸਮਝੇ
aajh chan v ekala, tariyaan di baraat vich
par dard chan da eh chandri raat na samjhe
ਅੱਜ ਚੰਨ ਵੀ ਇਕੱਲਾ, ਤਾਰਿਆਂ ਦੀ ਬਰਾਤ ਵਿੱਚ
ਪਰ ਦਰਦ ਚੰਨ ਦਾ ਇਹ ਚੰਦਰੀ ਰਾਤ ਨਾ ਸਮਝੇ
aajh chan v ekala, tariyaan di baraat vich
par dard chan da eh chandri raat na samjhe
कुछ अधूरे ख़्वाब जगा जाते हो,
मायूस चेहरे की मुस्कान जगा जाते हो...
सुबह पहली किरण भी तुम्हारी सादगी देखने आती है,
सांझ की रौशनी तुम्हारी जुल्फों में खो जाती है...
हवाएं तुमसे खुशबू लेकर चल रही हैं,
वो तितलियां भी तुम्हारे लबों सी खिल रही है...
कैसे बताऊं तुम्हे जैसे तुम इक किस्सा हो,
मेरी ज़िन्दगी हो मेरा इक हिस्सा हो...
मैं मुकम्मल होके भी अधूरा ही रहा हु ,
तमाम आजमइशों के बाद भी अकेला ही रहा हु ।
मैं हर बार करता रहा जिसकी हसी की दुआ
बदले मे इसके हर बार रोता रहा हूँ ।
हर बार बेवजह रूठता है कोई मुझसे
लाख कोशिशों के बाद भी खुद को खोटा रहा हूँ ।
मेरी कोशीशे मिटा रही है तमाम जख्मो को मेरे ,
दूसरी तरफ जज़बातो की आड़ मे एनहे खुरेद रहा हूँ ।