
Enjoy Every Movement of life!

ज़िन्दगी सीधे साधे चलना ठीक नही
उबड़ खाबड़ पड़ाव भी जरूरी है,
तैरते तैरते बाजू थक जाएंगे
एक पल के लिए नाव भी जरूरी है,
बदलाव भी जरूरी
ये घाव भी जरूरी है,
इतनी धूप अच्छी नेही
थोड़ी छांव भी जरूरी है..!
हद-ए-शहर से निकली तो,
गांव-गांव चली..
कुछ यादें मेरे संग,
पांव-पांव चली..!
सफर जो धूप का किया तो,
तजुर्बा हुआ..
वो ज़िन्दगी ही क्या जो,
छांव-छांव चली..!!
Tu v taan sheeshe di tarah bewafa nikaleya
jo sahmne aayea ohda hi ho gya
ਤੂੰ ਵੀ ਤਾਂ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਦੀ ਤਰਾਂ ਬੇਵਫਾ ਨਿਕਲਿਆ
ਜੋ ਸਾਹਮਣੇ ਆਇਆ ਉਹਦਾ ਹੀ ਹੋ ਗਿਆ