chahat si tainu paun di
chahat hi ban ke reh gai
ਚਾਹਤ ਸੀ ਤੈਨੂੰ ਪਾਉਣ ਦੀ
ਚਾਹਤ ਹੀ ਬਣ ਕੇ ਰਹਿ ਗਈ
chahat si tainu paun di
chahat hi ban ke reh gai
ਚਾਹਤ ਸੀ ਤੈਨੂੰ ਪਾਉਣ ਦੀ
ਚਾਹਤ ਹੀ ਬਣ ਕੇ ਰਹਿ ਗਈ
ईद के ख़ास मौक़े पर कोई ख़ुदाई से मिले,
दुश्मन – दुश्मन से मिले भाई – भाई से मिले
दुनियां वालों तुम्हें क्यों जलन होती है अग़र,
मुस्लिम सीख़ से मिले या सीख़ ईसाई से मिले
उस बंटवारे को अल्लाह भी क़बूल नहीं कर्ता,
जो हिस्सा इंसानों को ख़ून की लड़ाई से मिले
ग़ले ज़रूर मिलो मग़र ग़ला काटने के लिए नहीं,
क़ल को क्या पता किसका वक़्त जा बुराई से मिले
ये शायर तेरा आशिक़ है एक ही बात कहता है
हमसे जब भी जो भी मिले दिल की गहराई से मिले