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Bas chlta hun apni raah mein,
Kuch manzil mila nahi karti..
Khamosh hun logo ki afwah se,
Duayein lafzon se gila nahi karti
Chal raha hun baste mein kaanto ko lekar
Jalti dhup paav ke chale sila nhi karti
Thoda ziddi hun is baat ka garoor hai
Kaise ruk jaun beech mein manzil abhi door hai…🙌
बस चलता हूं अपनी राह में,
कुछ मंज़िल मिला नहीं करती…
ख़ामोश हूं लोगो की अपवाह से,
दुआएं लफ़्ज़ों से गिला नहीं करती…
चल रहा हूं बस्ते में कांटों को लेकर,
जलती धूप पांव के छाले सिला नहीं करती…
थोड़ा ज़िद्दी हूं इस बात का गुरूर है,
कैसे रुक जाऊं बीच में मंज़िल अभी दूर है…🙌
अगर है प्यार मुझसे तो बताना भी ज़रूरी है
दिया है हुस्न मौला ने दिखाना भी ज़रूरी है
इशारा तो करो कभी मुझको अपनी निगाहों से
अगर है इश्क़ मुझसे तो जताना भी ज़रूरी है
अगर कर ले सभी ये काम झगड़ा हो नहीं सकता
ख़ता कोई नजर आए छुपाना भी ज़रूरी है
अगर टूटे कभी रिश्ता तुम्हारी हरकतों से जब
पड़े क़दमों में जाकर फिर मनाना भी ज़रूरी है
कभी मज़लूम आ जाए तुम्हारे सामने तो फिर
उसे अब पेट भर कर के खिलाना भी ज़रूरी है
अगर रोता नजर आए कभी मस्जिद या मंदिर में
बड़े ही प्यार से उसको हँसाना भी ज़रूरी है
~ मुहम्मद आसिफ अली