Har ik insaan da dil bura ni hunda
har koi bewafa nai hunda
bujh jaanda diwa tel ton bina v
har waar kassor hawa da nahi hundaਹਰ ਇੱਕ ਇਨਸਾਨ ਦਾ ਦਿਲ ਬੁਰਾ ਨੀ ਹੁੰਦਾ
ਹਰ ਕੋਈ ਬੇਵਫ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ
ਬੁੱਝ ਜਾਂਦਾਦੀਵਾ ਤੇਲ ਤੋਂ ਬਿਨਾ ਵੀ
ਹਰ ਵਾਰ ਕਸੂਰ ਹਵਾ ਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ…
Har ik insaan da dil bura ni hunda
har koi bewafa nai hunda
bujh jaanda diwa tel ton bina v
har waar kassor hawa da nahi hundaਹਰ ਇੱਕ ਇਨਸਾਨ ਦਾ ਦਿਲ ਬੁਰਾ ਨੀ ਹੁੰਦਾ
ਹਰ ਕੋਈ ਬੇਵਫ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ
ਬੁੱਝ ਜਾਂਦਾਦੀਵਾ ਤੇਲ ਤੋਂ ਬਿਨਾ ਵੀ
ਹਰ ਵਾਰ ਕਸੂਰ ਹਵਾ ਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ…
You get older and you learn there is one sentence, just four words long, and if you can say it to yourself it offers more comfort than almost any other. It goes like this: At least I tried
Ann Brashares
मेरे प्यार की तपिश के आगे यह सूरज भी ठंडा है,
मेरे आंसुओ का मुकाबला यह बरसात क्या करेगी ।
तुझे पाने की चाहत में, हम सब कुछ खोते चले गए,
मगर फिर भी ऐ मेरे हमनशी, तुम दुर होते चले गए,
अब इससे ज्यादा मेरे हाल को बेहाल क्या करेगी,
मेरे प्यार की तपिश के आगे यह सूरज भी ठंडा है,
मेरे आंसुओ का मुकाबला यह बरसात क्या करेगी ।
मिल गया था मैं तुझे बिन मांगे, तुम कदर भी मेरी क्या करते ,
तुम रूठते हम मना लेते, मगर बदल ही गए हम क्या करते,
मैं लेटू नींद ना आये मुझे, तु भी रात को तारे गिना करेगी,
मेरे प्यार की तपिश के आगे यह सूरज भी ठंडा है,
मेरे आंसुओ का मुकाबला यह बरसात क्या करेगी ।
मैने खूद को ना ऐसे चाहा कभी, जैसे तुझको चाहते चले गए,
मैने देखा खुद को खोते हुए, बस तेरे होते चले गए,
मैंं इतना दूर चला जाऊं, तु घूट घूट आंहे भरा करेगी,
मेरे प्यार की तपिश के आगे यह सूरज भी ठंडा है,
मेरे आंसुओ का मुकाबला यह बरसात क्या करेगी ।
मैने खुदा से ऐसे मांगा उसे, मैं जीता, किस्मत हार गई,
यह “रमन” की महोब्बत की कविता थी, कोई जिस्मो का व्यापार नहीं,
तेरे पीछे खुद को फ़ना कर दू, मेरे गीत भी दुनिया गाया करेगी,
मेरे प्यार की तपिश के आगे यह सूरज भी ठंडा है,
मेरे आंसुओ का मुकाबला यह बरसात क्या करेगी ।
Rami_