
Haye Tera menu jaan kehna..!!
देखती हु उन्हें रोज़ खिड़की से कुछ तलाश करते हुए शायद खुद की ज़मीर को खोजते हैँ
और खुद ही ना जवाब पाकर .. चुप चाप चले जातें हैँ
शायद वो समझ नी पाते जिसे वो खोजते वो उनका ज़मीर नी उनके अंदर का टुटा प्यार है ..
हर रोज़ बस अड़े पर दीखते हैँ वो ..
और फिर भी अपने घर से ना जाने कैसे मेरे घर तक आजाते हैँ .. आसमान मे देख कर कहते हैँ की..भूल जाता हूँ अपना घर
इश्क़ का नशा जो तेरा अब तक चढ़ा है ..
देखती हु वो बैग दिया हुआ मेरा .. आज तक अपने संघ रखते हैँ मानो जैसे कलेजे को ठंडक देने वाला जलजीरा हो ..या आँखों को सुलघाने वाला चमकता हीरा हो ..
पर बुधु जो हैँ इन सबमे अपना रुमाल ही भूल जाते हैँ .
जानती हु वो बस मुझे याद करते हैँ ..
तभी तो शीशे के सामने आने से हटते हैँ
अपनी शकल बता कर मेरी शकल भूलने से डरते हैँ
पहले सामने थे मेरे देखती हु अब ऊपर से वो इश्क़ जो मेरा था वो जो खो गया…..
Sote sote jag jati hu jagte jagte so jati hoon
Fir yaad tumhari aati hai meethe sapno mein kho jati hoon
Apna milna is jeevan mein shayad ab namumkin hai
Khwabon mein hi sahi magar kuch pal ko tumhari ho jati hoon..!!
सोते सोते जग जाती हूँ जगते जगते सो जाती हूँ!
फिर याद तुम्हारी आती है मीठे सपनों मे खो जाती हूँ!
अपना मिलना इस जीवन मे शायद अब नामुमकिन है!
ख्वाबों मे ही सही मगर कुछ पल को तुम्हारी हो जाती हूँ!!