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Sahir ye kaisi duniya hai
Charo taraf haye tauba ka shor hai
Yaha muzrim ka ata pta nhi
Par badnaam koi aur hai..
“साहिर ये कैसी दुनिया है
चारों तरफ हाय तौबा का शोर हैं
यहां मुजरिम का अता पता नहीं
पर बदनाम कोई और है!!”
बोहोत बोलती हुं में मगर मुझे बात करने का तरीका नहीं आता
देखती हुं आइना रोज में खुद को मगर मुझे संवारना नही आता
रोता देख किसी को रो देती हुं मैं भी मुझे रोते को हंसाने का हुनर नही आता
तन्हा भी बड़ी शान से रहती हु में मुझे काफिलों में खुद को शुमार करना नही आता
में सर्द लहजों में ही बोलती हुं तल्ख बातें मुझे तल्ख लहजों से दिलों का तोड़ना नहीं आता
ओर में जो हुं वही नजर आती हु मुझे किरदार बदल बदल कर मिलना नही आता।🙌💯