This shayari or poetry is related to the feelings of every individual who want to change their life, who has lost their path and who is demotivated in their life.
This shayari or poetry is related to the feelings of every individual who want to change their life, who has lost their path and who is demotivated in their life.
माथे पे तिलक लगाकर कूद पड़े थे अंग़ारो पे,
माटी की लाज के लिए उनके शीश थे तलवारों पे।
भगत सिंह की दहाड़ के मतवाले वो निर्भर नहीं थे किन्ही हथियारों पे,
अरे जब देशहित की बात आए तो कभी शक ना करो सरदारों पे॥
आज़ादी की थी ऐसी लालसा की चट्टानों से भी टकरा गये,
चंद आज़ादी के रणबाँकुरो के आगे लाखों अंग्रेज मुँह की खा गये।
विद्रोह की हुंकार से गोरों पे मानो मौत के बादल छा गये,
अरे ये वही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव है जिनकी बदौलत हम आज़ादी पा गये॥
आज़ादी मिली पर इंक़लाब की आग में अपने सब सुख-दुःख वो भूल गये,
जननी से बड़ी माँ धरती जिसकी ख़ातिर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु झूल गये॥
अब राह तक रही उस माँ को कौन जाके समझाएगा,
कैसे बोलेगा उसको की माँ अब तेरा लाल कभी नहीं आएगा।
बस इतना कहूँगा कि धन्य हो जाएगा वो आँचल जो भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु सा बेटा पाएगा,
क्योंकि इस माटी का हर कण और बच्चा-बच्चा उसे अपने दिल में बसाएगा॥
Asa tenu khuda manneya sada allah manneya
Taan hi sab jag ethe sanu jhalla manneya..!!
ਅਸਾਂ ਤੈਨੂੰ ਖੁਦਾ ਮੰਨਿਆ ਸਾਡਾ ਅੱਲ੍ਹਾ ਮੰਨਿਆ
ਤਾਂ ਹੀ ਸਭ ਜੱਗ ਇੱਥੇ ਸਾਨੂੰ ਝੱਲਾ ਮੰਨਿਆ..!!