अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
Visit moneylok.com to learn about money
अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
ZINDGI TO SABKI EK SI HAI MERE DOST BSS FARAK TO ITNA HAI,
KOI APNE LIYE JEE RAHA,
TO KOI APNO KE LIYE….