हटा ली आइने से धूल ए ग़ालिब,
अब दामन मैला सा लगता है,
रूह तो नापाक थी ही,
अब आंगन भी मैला सा लगता है,
देखना ज़रूर के परिंदे भी छोड़ जायेंगे
बसेरा अपना उस दर से,
जिस दर पर मोहब्बत का मेला भी,
मैला सा लगता है...
किसी का जगह कोई ले नहीं सकते।
इस ज़माने में भी महान होना चाहिए, जैसे पुराने ज़माने में थे।
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इंसान मरने के बाद भगवान बन जाते।
जीवित दशा में कोई उसके प्रतिभा और योग्यता को पहचान नहीं पते।
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अच्छे घर की इंसान अब राजनीति नहीं करते।
जो हर क्षेत्र में बेकार है, वह सिर्फ नेता बनते।
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यह मत पूछो क्यों नहीं मिला।
सिर्फ यह देखो क्या मिला।
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जो ज्यादा पूछता है, वह मुर्ख नहीं, वह जानना चाहता है।
मुर्ख तो वह है, जो सब जानने का नाटक करता है।
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जो सब समझ के बैठा है, वह गिरने बाला है।
जो कभी संतुष्ट नहीं होता, वह विजय का माला पहनना है।
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औरत गुलाब जैसी।
सुगंधित पंखुड़ियां के अंदर छुपी हुई हत्यारा कांटे ऐसी।
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सुंदरता एक भयंकर रूप।
जो जीता, वह राजा; जो आत्मसमर्पण किया, वह बेवकूफ़।