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Shayari | Latest Shayari on Hindi, Punjabi and English

Mehanat par || Motivational shayari

के आपकी  मेहनत

और कोशिश पर ये

लोग एक दिन है रहे होगे

मगर एक दिन इनके

झुके हुए सिर आपकी

कामयाबी के गवाह होगे

दर्द भरी शायरी

१ के कलियों सी मुस्कुराती हो

फूलो सी सरमति हो

और पता नही क्यों

तुम मुझे इस तरह देखकर

यू फिसल जाती हो

२ के तुम्हारी आंखों को देखकर

कयामत आ जाती है

और तुम मेरे दिल में बसी हो  इस तरह

के मौत भी दूर भागती है

muskuraati ho || Hindi shayari

के कलियों सी मुस्कुराती हो

फूलो सा शर्माती हो

और पता नही क्यों तू मुझे इस तरह देखकर

इस तरह फिसल जाती हो

दिल me hai aag || 2 lines sad shayari

दिल में है आग,

सीने में जलन,

जब तुम चली गई,

अकेला हो गया तुम्हारा सनम ||

Wo Raate hasin thi || love shayari

Hasin thi wo raate jis raat ko tum aaye the.

Meri khwabon ki seher mein besumar khushiyan laye the.

Milna chahunga fir se unhi khwabon ki seher mein.

Jahan mohabbat ke rang humne saath milke sajaaye the.

Phoolo ne kabhi || Shayari

फूलों ने कभी तोड़ने का दर्द कहा है,
कांटों ने ही हमेशा दुश्मनी निभाई है;
मोहब्बत भी फना का ही एक और नाम है,
यह रूसवा तो​ हुई है, पर इसने हमेशा वफादारी निभाई है।

ऐ चांद तेरे आने का सबब सबको मालूम नहीं,
कुछ लोग दिया जलाते हैं, और कुछ दिल जलाते हैं;
या वो अच्छी हैं या बुरी, हसरतें तो अपनी हैं,
मगर लोग अक्सर दाग तुझ पर लगाते हैं।

ऐ मेरे दोस्त तू समन्दर बन जा,
क्या खोया क्या पाया इसकी चाहत न कर;
तेरे अंदर ही एक मुकम्मल जहां है,
तू बाहर से किसी और की आस न कर।

मुमकिन है कि मंजिलें मुझसे दूर बहुत हैं,
पर रास्ते पर चलना मेरी फितरत बन गयी है;
उजाले समेटने में कोई वाहवाही नहीं,
अन्धेरों में रोशनी करना मेरी आदत बन गयी है।

ऐसे चलो कि चल के फिर गिरना न पड़े,
इतना उठो कि उठ के फिर झुकना न पड़े;
लेकिन गिरना, उठना तेरे बस में नहीं ऐ दोस्त,
इसलिए उसका हाथ पकड़ के चलो कि फिर रोना न पड़े।

मां के हाथों की बरकत का अंदाजा इस से हो गया,
थी एक वक्त की रोटी हर रोज,
और तीस वर्ष तक गुजारा हो गया;
आज रोटी तो है हर वक्त की, लेकिन वो वक्त कहीं पर खो गया।

ऐ जिंदगी, ये तेरे सवाल की तारीफ नहीं,
यह मेरे जवाब का हुनर कि जिंदगी की उलझने सुलझती चली गयीं;
मैं तो बस अपने दिल की कह रहा था,
और कहानियां बनती चली गयीं।

न थी जिंदगी से शिकायत,
न वक्त से कुछ गिला था;
जो मुझको नहीं मिला,
वो खुद मेरा ही सिला था;
मदद-ओ-मशवरे कम नहीं थे मददगारों के,
पर अफसोस जो तकदीर ने दिया था वह दर्द ही मुझे मिला था।

ऐ वतन कर्ज तो तेरा मैं जब उतारूं, जब मेरे पास कुछ अपना भी हो; तेरी मिट्टी, तेरा पानी, तेरी हवा, तेरी धूप, तेरी छांव, तेरी रोटी और नाम तेरा, फिर भी बस एक कतरा ही बन पाउं तेरा, तो मैं समझूं और तुझको मैं अपना पुकारूं।

जिंदगी जीने का अंदाज तो आया मगर अफसोस,
वो मुकम्मल एहसास नहीं आया;
वो हुनर तो आया मगर,
ऐ बदनसीबी वो मुकाम कभी नहीं आया।

यूं गलतफहमियां पाला न करो,कभी आईने में खुद को निहारा भी करो; ये जो चेहरा है वो सब कुछ बयां कर देता है; कभी इसको जुबां पर उतारा भी करो।

आशुतोष श्रीवास्तव

परेशान जिंदगी

जा रहा हूं जिंदगी से अब न लौट के आऊंगा

न कोई चिराग अब जलाऊंगा,न कोई अंधेरा मिटाऊंगा

जो रह गई याद तो उसे नदियों में बहाऊंगा

जो मिल गए राहों में तो रस्ता बदल जाऊंगा

बांधा था जिस रिश्ते से वो रिश्ता तोड़ जाऊंगा

नीर भरे नयनों में एक तड़प छोड़ जाऊंगा

कीचड़ ही सही एक दिन कमल बन खिल जाऊंगा

जा रहा हूं जिंदगी से अब न लौट के आऊंगा

Murd k tu blona nai |punjabi poetry|

Menu pta vappis tu ona nai

Aur mill be gyi kisse bahaneh

te murd k tu blona nai

Menu aas be reh gi tere toh

Per ooh aas da mull tu pona nai

Ehh hassdeh chehere dikhn tennu

Enna haseeya pishe jo

Dard lukkeh ona da mull tu pona nai

Aur mera tere toh door Jana bann da c

Ki mai kinna k najdeek ha tere toh door

hokkeh be