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zindagi tujhe jeene ki || zindagi shayari
जिंदगी तुझे जीने की साझीश जारी है
हर लम्हे मे दर्द है और दर्द से अपनी यारी है
कुछ न देके भी भोत कुछ दिया है तूने
एसिलिए तू कही न कही हमको प्यारी है ।
नुकसान भरा नहीं पिछली बरबादी का
फिर एक दफा तुझे सवारने की तयारी है
जिंदगी तुझे ज़ीने की साझीश जारी है ।
हर दिन आके झँझोड़ जाती है तू
जैसे सदियों से तेरी हमपे उधारी है
तू साथ दे या न दे हमारा
लेकिन तुजे जीने की ज़िद्द दिल मे उतारी है
जिंदगी तुझे जीने की साझीश जारी है ।
वक्त का खामोशी से गुजारना ओर धडकनों का यूं शोर मचाना
एह जिंदगी तू ही बता ये कैसी बेकरारी है
लौट आए जो वो पुराने लोग
तो पुछू आखिरी कैसे उन्होने उन्होने जिंदगी गुजारी है
जिंदगी तुझे जीने की साझीश जारी है ।
उम्मीद है तू साथ चलेगी मेरे
खवाबों से भरी हाथ मे मेरे पिटारी है
पूरे हो या न हो ये किस्मत का खेल है
पर जिंदगी तुझे जीने की जंग जारी है ।
……….. अजय कुमार ।
जो खो गया है क्या कभी वापिस आएगा
जो खो गया है क्या कभी वापिस आएगा
दिल भटक रहा है उसकी तैलाश मे , क्या वो मिला जाएगा
न सोचा था कभी साथ रहने की कसमे खा के
वो यू अकेला ही चला जाएगा
जो खो गया है क्या कभी वापिस आएगा ?
न सोचा ज़िंदगी को रंगीन कर , अचानक यू बेरंग कर जाएगा
खवाब दिये थे जो उसने वो अधूरे ही छड़ जाएगा
जो खो गया है क्या कभी वापिस आएगा ?
….
Hazaar baar maaf kiya || shayari from heart sad
हजार बार माफ किया तुमने एक आखिरी दफा भी कर दो ना
दिल वीरान हो गया है तेरे जाने से एसे भर दो ना
तेरी खामोशिया पल-पल मारेगी मुझे
अपना समझ ही फिर अपना कर दो ना
लाख बुरा हूँ चाहे मैं
पर हूँ तो तेरा समझो ना ….. एक आखिरी दफा माफ करो दो ना ।
तुझसे दूर जाऊ भी तो जाऊ कैसे टूजसे मेरी रूह जुड़ गयी है
तुझे नाराज करके मेरी रूह मेरे जिस्म से उड़ गयी है ,
अपने गले लगा के कह दे की तू मेरी है
तुझे फिर देखने को मेरी आँख तरस गयी है ।
Meri berang duniyaa me kai rang || dua shayari
मेरी बेरंग दुनिया में फिए एक दफा तूने रंग भर दिये
अधूरे से वो प्यारे किस्से पूरे कर दिये ,
जिंदगी से मिले हर ज़ख़म को
तूने अपनी हंसी से भर दिये ।
मेरी दुआओं का काफिला चलता रहे साथ तेरे ,
ऊपरवाला तेरी जिंदगी खुसियों से भर दे
तेरे साथ ही तो चल रहा अब वजूद मेरा
दुआ है तेरी उम्र मुझसे भी लंबी कर दे।
कुछ तो संभाल रखा है ……..
सौ ख्वाबों को मिला के एक ख्वाब देख रखा है ,
ज़िंदगी ने जाने फिर भी क्या हिसाब रखा है ,
तू मशरुफ़ है तेरी अहमत में,
और मैंने तेरे इंतज़ार को संभाल रखा है ।
माना दर्द की सौगात लाता है इश्क़ जाना ,
फिर भी मैंने अपनी मुलाकातों का गुलाब रखा है ,
तेरे साथ ही तो चल रहा है वजूद मेरा ,
तेरी यादों का मैंने एक तकियाँ भिगो रखा है ।
तेरा यू इंतज़ार करवाना ,मेरे दिल को खा जाता है ,
फिर भी तुझसे मिलने का अरमान सजा रखा है ,
कभी आओ खुल के सामने जो मेरे तुम तो दिखाऊ ,
टूटे दिल मे भी तेरे लिए एक महल सजा रखा है ।
………….अजय कुमार ।