MAGRUR NAHI HAI HUM
BUS PAGAL HAI KISI KE PYAR MAIN
GALATFAHMI THI HAME VO TO
FAYADA DHUNDHTE RAHE HAMARI IBADAT MAIN-AMRUTA
MAGRUR NAHI HAI HUM
BUS PAGAL HAI KISI KE PYAR MAIN
GALATFAHMI THI HAME VO TO
FAYADA DHUNDHTE RAHE HAMARI IBADAT MAIN-AMRUTA
“फिर आज युंहिं मौसम बदला, चहकती
देखो हर एक डाल है..
मद्धम सी बरसात हुई, छिल गई कई पेड़ों की छाल है..
हर पत्ते हर डाली ने पूछा, क्या दर्द हुआ? क्या तेरा हाल है..
कहा हुआ हूं, नया मैं फिर से, क्या जानो तुम कुदरत कमाल है..
मुझको ताकत दी है इतनी, शक्ति मेरी बेमिसाल है..
हर जीव में सांसें भरता हूं, सब करते मेरा इस्तेमाल है..
काटेंगे मुझे तो भुगतेंगे, कुदरत का कहर सबसे विशाल है..
बे-मौसम जो मौसम बदल रहे हैं, जवाब पता है, फिर भी सवाल है..”