Asin jamane wal kade kyaal nai karde
jithe zameer na manne
othe salam nai karde
ਅਸੀਂ ਜਮਾਨੇ ਵੱਲ ਕਦੇ ਖਿਆਲ ਨੀ ਕਰਦੇ,
ਜਿੱਥੇ ਜਮੀਰ ਨਾ ਮੰਨੇ,
ਉੱਥੇ ਸਲਾਮ ਨੀ ਕਰਦੇ..
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Asin jamane wal kade kyaal nai karde
jithe zameer na manne
othe salam nai karde
ਅਸੀਂ ਜਮਾਨੇ ਵੱਲ ਕਦੇ ਖਿਆਲ ਨੀ ਕਰਦੇ,
ਜਿੱਥੇ ਜਮੀਰ ਨਾ ਮੰਨੇ,
ਉੱਥੇ ਸਲਾਮ ਨੀ ਕਰਦੇ..
उसकी एक मुस्कुराहट, मेरे दिल की कई हसरतों को जिंदा करती है..
उसके रूप की स्याही मानो, कई रंग मेरे दिल में भरती है..
नजाकत से भरी नजरें जैसे, कह रही हों के मुझपे मरती हैं..
जवाब में मेरी नजरें भी उसे, हाँ में इशारा करती हैं..
कहते-कहते कई बातों को, जुबान कई बार ठहरती है..
मन ही मन काफ़ी कुछ कहकर, कुछ भी कहने से डरती है..