paise ke nashe mein jab aadamee choor hota hai,
use laalach ka har phaisala manjoor hota hai..
पैसे के नशे में जब आदमी चूर होता है,
उसे लालच का हर फैसला मंजूर होता है..
paise ke nashe mein jab aadamee choor hota hai,
use laalach ka har phaisala manjoor hota hai..
पैसे के नशे में जब आदमी चूर होता है,
उसे लालच का हर फैसला मंजूर होता है..
आग को बुझा देता है क्रोध ।
आग जलते है हवा में, लेकिन चिंगारी में जलता है क्रोध।
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अपना कविता किसी को मत पढ़ाओ।
अगर कोई पढ़ना चाहते है, उसे सच ढूंढ़ने के लिए बताओ।
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जबाब हर बात पे मत दो।
सिर्फ वक्त का इंतज़ार करो।
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जब बन रहे हों, सुनना पड़ता हैं।
जब बन गये हों, लोग सुनने आते हैं।
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रिश्ते आसमान की रूप।
आज बारिश, कल धूप।
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बात लहर की तरह।
जनम देती रिश्ते, टूटती भी रिश्ते, सोचो ज़रा।
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मैदान में जितना राजनीती होता है, उससे भी ज्यादा होता है घर पर।
घर का बाप ही बनता है नेता, नेता पैदा भी होता हे घर पर।
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जो तुम्हे पाता है, वो किसी को मत बताओ।
समय में प्रयोग करो, नहीं तो लोग समझेंगे के तुम मुर्ख हो।
MOHABBAT KI LAKEERON SE DOOR KHWAABON MAIN JI RAHI HO MAIN
WO LAMHA WASL KA KABHI MERI HAYAAT MAIN TO AAYE GA NAHI
محبّت کی لکیروں سے دور خوابوں میں جی رہی ہوں میں
وہ لمحہ وصل کا کبھی میری حیات میں تو آئے گا نہیں