एक बार ही जी भर क सज़ा क्यो नही देते?
में हरफ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यो नही देते?
मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने,
आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नही देते?
साया हूँ तो साथ ना रखने की वजह क्या?
पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नही देते?
Well done is better than well said
एक बार ही जी भर क सज़ा क्यो नही देते?
में हरफ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यो नही देते?
मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने,
आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नही देते?
साया हूँ तो साथ ना रखने की वजह क्या?
पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नही देते?