Galti teri howe ja meri
Saza menu hi karni pawe qubool..!!
मायूसी से भरी सुबह्य
बैचैनी मैं शाम होगी
मुस्कुराना छोड़ कर इक गुम सूम सी जान होगी
आगे बढ़ने के चक्कर मैं कितना सारा छोड़ आए हम
अब तन्हा अच्छा लगता है लगता है बड़े हो गए हम।💯
कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,
फिर ढूँढा उसे इधर उधर
वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,
एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार,
वो सहला के मुझे सुला रही थी
हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,
मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया
कमबख्त तूने,
वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले
तुझे जीना सिखा रही थी।