sazaa suna hi chuke ho toh haal mat pochhna
agar ham beksoor nikle toh tumhe taqleef hogi
ਸਜਾ ਸੁਨਾ ਹੀ ਚੁਕੇ ਹੋ ਤੋ ਹਾਲ ਮਤ ਪੂਛਨਾਂ,
ਅਗਰ ਹਮ ਬੇਕਸੂਰ ਨਿਕਲੇ ਤੋ ਤੁਮਹੇ ਤਕਲੀਫ ਹੋਗੀ ।❤️
sazaa suna hi chuke ho toh haal mat pochhna
agar ham beksoor nikle toh tumhe taqleef hogi
ਸਜਾ ਸੁਨਾ ਹੀ ਚੁਕੇ ਹੋ ਤੋ ਹਾਲ ਮਤ ਪੂਛਨਾਂ,
ਅਗਰ ਹਮ ਬੇਕਸੂਰ ਨਿਕਲੇ ਤੋ ਤੁਮਹੇ ਤਕਲੀਫ ਹੋਗੀ ।❤️
ये साफ सफाई की बात नहीं, कोरोना ने लिखी खत।
इधर उधर थुकना मत।
…………………………………………..
गंगा की गोद में चलती है नाव, मृत शरीर भी।
समय का गोद में खिलती है सभ्यता और जंगली जानवर का अँधा बिस्वास भी।
……………………………………………
बचपन मासूम कली।
फल बनना और बड़ा होना- काला दाग में अशुद्ध कलि।
…………………………………………….
कीचड़ में भी कमल खिलता है।
अच्छे घर में भी बिगड़ा हुआ बच्चा पैदा होते है।
………………………………………………
इंसान का अकाल नहीं, इंसानियत की अकाल है।
डॉक्टर (सेवा) के अकाल नहीं, वैक्सीन (व्यवस्था) का अकाल है।
………………………………………………….
कुत्ते समझते है के कौन इंसान और कौन जानवर है।
बो इंसान को देख के पूंछ हिलाते है और जानवर को देख के भूँकते है।
………………………………………………………
जीविका से प्यारा है जिंदगी।
अगर साँस बंद है तो कैसे समझेंगे रोटी की कमी।
Nit teriyaan yaadan nu main likhan
kaante maaran, paarran varke
te fir likhaan …..