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Khoon tapkne lagaa aankho || dard hindi
खून टपकने लगा आंखो से
आंसुओ को सूखे जमाना हुआ
तुम्हारी तस्वीर ही बची थी पास मेरे
तम्हारा कैसे आना हुआ
क्यू हाल पूंछ मेरे जख्मों को कुरेद रहे हो तुम
मेरे जिस्मों में अब दर्द का ठिकाना हुआ
सलमान….दर्द ही लिखोगे क्या ता_उम्र
उससे पूछो तो इस दर पर क्यू आना हुआ
कलम….तू तो जनता है न मेरे हालात ….
तू बता कैसे हमारा गुजारा हुआ
Iraade umeedo ke sakhat lagte ho || hindi shayari
इरादे उम्मीदों के,सख़्त लगते हो
तुम मुझे मेरा,बुरा वक्त लगते हो
होठों पर नज़र,नहीं जाती है क्या
माथा चूम कर,क्यू गले लगते हो
यार लहज़ा ऐसा, क्यूं है तुम्हारा
देखने में,इंसान तो भले लगते हो
तुम्हे क्या पता,दिल कहतें हैं इसे
तुम जो खिलोने, बेचने लगते हो
सच्चा इश्क़ ही तो, मांगा है मैंने
हर बार ये क्या, सोचने लगते हो
उदास हो कर कहते हैं,अलविदा
जब तुम ये,घड़ी देखने लगते हो
के कुछ पहेलियां भी,समझा करो
तुम मतलब,क्यों पूछने लगते हो
कोई ख्याल बचा कर,रखो भैरव
तुम तो बस,कलम ढूढने लगते हो
गिरा तो फ़िर कभी,उठा ना मिला
गिरा तो फ़िर कभी,उठा ना मिला
बंदों का हुज़ूम था,खुदा ना मिला
ज़िस्म ना मिले,तो क्या हुआ यार
वो दिल से कभी, जुदा ना मिला
परिंदों के जैसा था, इश्क़ उसका
कोई वादा, कोई वास्ता ना मिला
ऐसे हुआ दिल पर,कब्ज़ा उसका
धड़कनों को भी, रास्ता ना मिला
उसके शाहपरस्त भी हैं,बादशाह
कोई भी पत्थर,तरास्ता ना मिला