Skip to content

farmer shayari

Tumko naman hamaara || किसान कविता

हो विष्णु तुम धरा के,
हल सुदर्शन तुम्हारा !!
बिना शेष-शैया के ही,
होता दर्शन तुम्हारा !!
पत्थर को पूजने वाले,
क्या समझेंगे मोल तेरा !!
माँ भारती के ज्येष्ठ सुत,
तुमको नमन हमारा !!!

          तरुण चौधरी

Kadhi dhoop me || किसान कविता

कड़ी धूप हो या हो शीतकाल,
हल चलाकर न होता बेहाल.
रिमझिम करता होगा सवेरा,
इसी आस में न रोकता चाल.
खेती बाड़ी में जुटाता ईमान,
महान पुरूष हैं, है वो किसान.

छोटे-छोटे से बीज बोता,
वही एक बड़ा खेत होता.
जिसकी दरकार होती उसे,
बोकर उसे वह तभी सोता.
खेतो का कण-कण हैं जिसकी जान,
महान पुरूष है, है वो किसान.

                तरुण चौधरी

tarse jeevan || किसान कविता

बूँद बूँद को तरसे जीवन,
बूँद से तड़पा हर किसान
बूँद नही हैं कही यहाँ पर
गद्दी चढ़े बैठे हैवान.
बूँद मिली तो हो वरदान
बूँद से तरसा हैं किसान
बूँद नही तो इस बादल में
देश का डूबा है अभिमान
बूँद से प्यासा हर किसान
बूँद सरकारों का फरमान
बूँद की राजनीति पर देखों
डूब रहा है हर इंसान.

           तरुण चौधरी  

Wo khud bhookha reh kar || Farmer hindi shayari

वो खुद भूखा रहकर तुम्हारा पेट सींच रहा है,
देखो आज,
चेहरे पर मुस्कान लिए भीगी पलकें मीच रहा है,
दो वक्त की रोटी, रोटी देने वालों को नसीब नहीं,
वो कौनसा तुम्हारी भारी जेबों से नोट खीच रहा है....
थोड़ी खुशियां उनकी झोली में भी नसीब हो,
आज दूर है कल वापस मिट्टी के करीब हो,
इक सैलाब ने खूब कोहराम मचाया,
ऐसा ना हो के दूसरा भी करीब हो...

मुठ्ठी भर ज़मीन में || Kisan shayari || farmer hindi shayari

मुठ्ठी भर ज़मीं में अपनी भुख़ बो रहा हूं,
मिट्टी तन पर लगी थी पर कमीज़ धों रहा हूं,
रो रहा हूं के बारिश की बूंदे बहुत कम थी, पर
कहूंगा नहीं भूखे पेट ना जाने कबसे सो रहा हूं...