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kabar shayari

Har waqt aansu || dard shayari

कब्र दर कब्र इक इश्तिहार जा रहा है,
अपना था कोई वो जो दूर जा रहा है,
मोहब्बत सही, इश्क सही, पास नहीं है अब,
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...
जो अपने थे वो चले गए....
हर वक्त आंसू पोंछने कोई पास आ रहा है,
मालूम है वो भी चला जायेगा फिर आंसू देकर,
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...
मतलबी, बेशर्म, बेईमान है दुनिया सारी
मालूम है की जीने नहीं देगी... देखो...
मेरी कब्र से भी मेरा इश्तिहार आ रहा है...
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...