romantic shayari
Pyar wo hai || Mohobat shayari punjabii
प्यार वो है जो जज्बात को समझे,
मोहब्बत वो है जो एहसास को समझे,
मिलते हैं जहाँ में बहुत अपना कहने वाले,
पर अपना वो है जो बिन कहे हर बात समझे। 💘
Pyar wo hai jo jazbat ko samjhe,
Mohabbat vo hai jo ehsaas ko samajhe,
Milate hain jahaan mein bahut apana kahane vaale,
Par apana vo hai jo bin kahe har baat samajhe
jab se dekha hai || Hindi romantic shayari
jab se dekha hai teree aankho me jhaank kar,
koee bhee aaeena achchha nahee lagata,
teree mohabbat me aise hue hai deevaane,
tumhe koee aur dekhe to achchha nahee lagata..
जब से देखा है तेरी आँखो मे झाँक कर,
कोई भी आईना अच्छा नही लगता,
तेरी मोहब्बत मे ऐसे हुए है दीवाने,
तुम्हे कोई और देखे तो अच्छा नही लगता..
Falsale zindagi ke || Romantic Hindi Shayari
Hello reader, Today I am going to share you the best collection of Romantic Hindi Shayari which you will definitely going to love and share with your boyfriend, girlfriend or anyone who you love the most.
फलसफे ज़िन्दगी के है पेचीदा इतने की
चलने से पहले मेरी राहें बिखर जाती है
हज़ार ज़ख्मो के बाद अब ये आलम है
इश्क़ के नाम से ही मेरी रूह सिहर जाती है!
वो बेहिसाब जो पी के कल शराब आया
अगरचे मस्त था मैं पर मुझे हिजाब आया
इधर ख्याल मेरे दिल में ज़ुल्फ़ का गुज़रा
उधर वो खता हुआ दिल में पेच-औ-तब आया
ख्याल किस का समय है दीदा-औ-दिल में
न दिल को चैन मुझे और न शब् को ख्वाब आया!
खो गयी शाम किसी के इंतज़ार में,
ढल गयी रात किसी के इंतज़ार में,
फिर हुआ सवेरा किसी के इंतज़ार में,
इंतज़ार की आदत हो गयी किसी के इंतज़ार में..
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कैसी दिखती होगी || Love hindi shayari
ek vaqt gujara use dekhe hue
jaane ab vo kaisee dikhatee hogee
kya ab bhee vaisee dikhatee hogee
haan haan kya pahale jaisee dikhatee hogee
jis aaine ko dekh vo sanvaaratee hogee
kya khoob usakee bhee kismat hogee
एक वक़्त गुजरा उसे देखे हुए
जाने अब वो कैसी दिखती होगी
क्या अब भी वैसी दिखती होगी
हाँ हाँ क्या पहले जैसी दिखती होगी
जिस आइने को देख वो संवारती होगी
क्या खूब उसकी भी किस्मत होगी
अकेले चले जाते हो || Hindi Love poem – Shayari
अकेले चले जाते हो
बताते भी नहीं हो
बातें दिल में रखते हो
सुनाते भी नहीं हो
अपने राज छुपाए रखते हो
हमारे जान लेते हो
भीड़ में होकर भी
लापता से रहते हो
जो सवाल पूछो तो
नजरे चुराते हो
स्टेटस भी देखते हो
और देखकार मुस्कुरा भी देते
जाने किस रोज को रुके हो
फोन लगाते भी नहीं हो
हमारा दर्द भी समझते हो
फिर भी नसमझ सा बनते हो
कभी बहुत अपनापन जताते हो
और कभी पराए हो जाते हो
बाला की ख़ूबसूरत हो
पर इतराते नहीं हो
वैसे तो हर लिबास में हसीन हो
पर पीली कुर्ती में बिजलियाँ गिराते हो
मशहूर होकर भी गुमनाम सा रहते हो
ताजगी सुबह की हैं पर मस्तानी शाम सा रहते हो
बांधते हो और फिर खोल देते हो
इन जुल्फों से बड़ा खेलते हो
चेहरे की किताब के अक्षरों में उलझाते हो
अब बोल भी दो दिल की बात क्यों हमारे जख्मों को सहलाते हो
मैं तो सामने से नहीं बोल पाऊंगा
डरता हूं तुम्हारी ना हुई तो नहीं झेल पाऊंगा
अब तुम भी तो कभी कुछ इशारों को समझो
किसी चंचल नांव की तरह लहरें से उलझो
अब जब कभी तुमसे अगली मुलाकात हो
इधर-उधर की नहीं सीधे मुद्दे की बात हो
फिर जो भी फैसला आए हमें मंजुर हो
इकरार हो या ना हो पर अब इजहार तो जरूर हो।
इजहार तो जरूर हो।
इजहार तो जरूर हो।