तुम कल आओगे || hindi shayari || intezaar shayari
बिछड़ के मुझसे, इन गलियों में कितनी दूर जाओगे...
परवानों की बस्ती है, जहां जाओगे मुझे हर जगह पाओगे...
गुज़रा पल, मीठी बातें और वो हसीन शामें सब बुलाते हैं तुम्हे...
इक झूठ ही सही बस कहदो के तुम कल आओगे,
इंतज़ार करना पसंद नहीं पर, मेरी नज़रें राहों पर टिकी हैं...
पता है मुझे रास्ता बदल गया तुम्हारा लेकिन, दिलासा दिए बैठा हूं के तुम कल आओगे...