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Poetry

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एक रात || ek raat jab darwaaze par

एक रात जब दरवाजे पर दस्तक हुई, तो लगा कोई आया होगा..

आख़िर देर रात ये है कौन। कहीं कोई बुरी खबर तो ना लाया होगा..?

बिस्तर से उठा घबराहट के साथ, रात ताला भी तो लगाया होगा..

चाबी ना जाने कहां रख दी मैंने, ऐसा होगा, रात दिमाग में ना आया होगा..

चाबी लेकर दौड़ा दरवाजे की ओर, दरवाजा तो खोलू, शायद कोई घबराया होगा..

दरवाज़ा खोला कोई नहीं था, ये कोई मज़ाक का वक़्त है, जो दरवाज़ा खटखटाया
होगा..

ना जाने कौन था ये, जो इतनी रात गऐ मेरे दर पे आया होगा..?

पूरी रात निकल गई सोचने में, ये मेरा वहम था, या सच में कोई आया होगा..

Gallan taan bahut ne || punjabi love shayari

 gallan ta badya ne jede bah k krniya ne

    Tu gal dasi koi m bas hami bharniya ne

    Tu haal dasi apna kive bite ane saal

    Fer kise gal te m rona tere naal

    Fer vadu kahani aage ni

    Koi kisse tu suna daye

    Ak jooth bol k Mera bhi 

    Mnn nu tu bahla diye

Toh Manaa to Loge Na…

Agar mai rooth jau tumse,

Toh manaa to loge na…

Is nok jhok bhare rishte ko mere sath,

Nibha toh loge na…

Mohobbat itni hai ki,

izhaar nai kar sakte…

Mere sath is raah par aage,

Puri jindagi chal to doge na…

Yakeen ishq beshumaar hai,

Lekin mar kar bichadna bhi tay hai…

Par jab tak hai sath,

Mere is hath ko thaam to loge na…

Agar mai kabhi rooth jau tumse,

Toh mujhe manaa to loge na…

Roop tha uska bahut || hindi poem

रूप था उसका बहुत विशाल, राक्षस था वो बहुत भारी..
नाम था दशानन उसका, बुद्धि न जिसकी किसी से हारी..
हर कोई डरता था उससे, हो देव, दैत्य, चाहे नर-नारी..
प्रकोप था जिसका लोकों में, धरती कांपती थी सारी..
देखके ताकत को उसकी, भागे खड़े पैर बड़े बाल-धारी..
विशाल साम्राज्य पर उसके, भारी पड़ गई बस एक नारी..
घमंड को उसके चूर कर दिया, कहा समझ ना तू निर्बल नारी..
विधवंश का तेरे समय आ गया, ले आ गयी देख तेरी बारी..
लंका में बचेगा ना जीव कोई, मति जो गई तेरी मारी..
आराध्य से मेरे दूर कर दिया, भुगतेगी तेरी पीढी सारी..
रघुनंदन आए कर सागर पार, आए संग वानर गदा धारी..
एक-एक कर सबको मोक्ष दिया, सियाराम चरण लागी दुनिया सारी..

Socho tere baare me || hindi shayari तेरे बारे में

सोचू तेरे बारे में तो इतना मैं मुस्कुराऊ,

सामने जब तू आए तो कभी नजरों को रोकू,

तो कभी दिल को समझाऊं,

नादान है ये दिल ज़रा की मानता ही नहीं है,

सब कुछ जानने के भी बाद भी,

ये कुछ जानता हि नहीं है,

कभी खुद को संभालू तो कभी खुद को समझाऊं,

क्यों हर दिन और मैं तेरे जैसा होता जाउ,

ख्याल तेरा जब भी आए,

न जाने क्यों मैं फिर सो ना पाउं,

कभी खुद को रोकू तो कभी दिल को समझाऊं !

Tanhai me bahut si ashaai hai || zindagi shayari

“तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I
बिना बात हसाती है, रुलाती है I
बड़े -बड़े ख्याब दिखलाती है I
क्योंकि, तन्हाई में भी है बहुत सी अच्छाई I
अपने आप से मिलबाती है I
ज़िंदगी जीने का तरीका सिखलाती है I
आपनो की याद दिलाती है I
बातें जो दफ़न हो गई है यादों की कब्र में उस से मिलबाती है I
क्योंकि, तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I
ख्यालों के मजधार में डुबोती है I
खुद पर भरोसा करना सिखलाती है I
क्योकि तन्हाई में भी बहुत सी अच्छाई है I”

Hansi me shipe || hindi shayari

“हंसी में छिपे खामोशियों को महसूस किया है I
मैखाने में बुजुर्गों को भी जवान होते देखा है I
हमने इन्शानो को जरुरत के बाद अनजान होते देखा है I
क्यों भूल जाते है इंसान अपनी अस्तित्व पैसा आते ही I
दुनियां ने बड़े – बड़े राज महराजा को फ़क़ीर होते देखा है I”

Jeevan ki jay ho || hindi life poetry

मै ज़ीवन मे कुछ न कर सक़ा!
 
जग मे अन्धियारा छाया था,
मै ज्‍वाला लेक़र आया था
मैने ज़लकर दी आयू बीता, 
पर ज़गती का तम हर न सका!
मै ज़ीवन मे कुछ न क़र सका!
 
अपनीं ही आग ब़ुझा लेता,
तो ज़ी को धैर्यं बधा देता,
मधु का साग़र लहराता था, 
लघु प्‍याला भी मै भर न सक़ा!
मै ज़ीवन में कुछ न कर सक़ा!
 
बींता अवसर क्‍या आयेगा,
मन जींवन भर पछतायेगा,
मरना तो होगा ही मुझको, 
ज़ब मरना था तब़ मर न सक़ा!
मै जींवन में कुछ न कर सक़ा!