सोचू तेरे बारे में तो इतना मैं मुस्कुराऊ,
सामने जब तू आए तो कभी नजरों को रोकू,
तो कभी दिल को समझाऊं,
नादान है ये दिल ज़रा की मानता ही नहीं है,
सब कुछ जानने के भी बाद भी,
ये कुछ जानता हि नहीं है,
कभी खुद को संभालू तो कभी खुद को समझाऊं,
क्यों हर दिन और मैं तेरे जैसा होता जाउ,
ख्याल तेरा जब भी आए,
न जाने क्यों मैं फिर सो ना पाउं,
कभी खुद को रोकू तो कभी दिल को समझाऊं !