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Tera Chan Jiha Cehra || punjabi shayari

Tera chan jiha cehra vekh,
Chad’da din mera.
Jiss din na vekhan photo teri..!!
Akhiyan rehan bechan,
Te chitt v naa lage mera.
Naa tera padh injh jap’pe,
Padh lya jiven jug sara.
Tere bulan chh sun’na naa mera,
Mainu lage pyara…

ਤੇਰਾ ਰੋਹਿਤ…✍🏻

Title: Tera Chan Jiha Cehra || punjabi shayari

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Reh na howe || Punjabi love status

Vichoda ki pya palle jhalleyan de sade
Seh tuhathon vi na howe
Seh sathon vi na howe..!!
Chain udde ne dhur ton ikalleyan de sade
Reh tuhathon vi na howe
Reh sathon vi na howe..!!

ਵਿਛੋੜਾ ਕੀ ਪਿਆ ਪੱਲੇ ਝੱਲਿਆਂ ਦੇ ਸਾਡੇ
ਸਹਿ ਤੁਹਾਥੋਂ ਵੀ ਨਾ ਹੋਵੇ
ਸਹਿ ਸਾਥੋਂ ਵੀ ਨਾ ਹੋਵੇ..!!
ਚੈਨ ਉੱਡੇ ਨੇ ਧੁਰ ਤੋਂ ਇਕੱਲਿਆਂ ਦੇ ਸਾਡੇ
ਰਹਿ ਤੁਹਾਥੋਂ ਵੀ ਨਾ ਹੋਵੇ
ਰਹਿ ਸਾਥੋਂ ਵੀ ਨਾ ਹੋਵੇ..!!

Title: Reh na howe || Punjabi love status


माँ को बेटी की पुकार कविता ||Hindi poetry

पहली धड़कन भी मेरी धडकी थी तेरे भीतर ही,
जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां.

आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा.

खामोशी मेरी जुबान को  सुर भी तूने ही दिया,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने  भर दिया.

अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,
मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा.

वह रात  छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,
दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी.

ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,
तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था.

पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,
तेरी चूड़ियों तेरे पायल की आवाज से डर लगता था.

लगता था तू आएगी बहुत  डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है.

चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,
मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए.

जाना चाहती हूं  उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,
जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी.

जब तेरे बिना लोरियों  कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,
माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी.

अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,
चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को.

खुश होगी माँ एक दिन तू भी,
जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे.

Title: माँ को बेटी की पुकार कविता ||Hindi poetry