वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो
Enjoy Every Movement of life!
वो शमा की महफ़िल ही क्या,
जिसमे दिल खाक ना हो,
मज़ा तो तब है चाहत का,
जब दिल तो जले, पर राख ना हो
Kaisi nainsafi hai ye
Vo galat hokar bhi sahi hum sahi hokar bhi nhi💯
कैसी नाइंसाफी है ये
वो गलत होकर भी सही हम सही होकर भी नही💯
उसकी जुल्फों से छाँव हुई, दिल धूप में बड़ा बेचैन सा था..
ठोकर लगी फिर भी नहीं हटी नजर, वो जादू उसके नैन का था..
उसके हुस्न में डूब के हम, कुछ इस कदर उसके हो गए..
आज सोचता हूं सिर पीट के मैं, जीवन कितना सुख-चैन सा था..