Kise di doori naal koi mar nahi janda..
Par zindagi jeen da andaaz jaroor badal janda
ਕਿਸੇ ਦੀ ਦੂਰੀ ਨਾਲ ਕੋਈ ਮਰ ਨਹੀ ਜਾਂਦਾ…
ਪਰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਜੀਨ ਦਾ ਅੰਦਾਜ਼ ਜਰੂਰ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ .
Kise di doori naal koi mar nahi janda..
Par zindagi jeen da andaaz jaroor badal janda
ਕਿਸੇ ਦੀ ਦੂਰੀ ਨਾਲ ਕੋਈ ਮਰ ਨਹੀ ਜਾਂਦਾ…
ਪਰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਜੀਨ ਦਾ ਅੰਦਾਜ਼ ਜਰੂਰ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ .
“सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई,
क्या जितना था वो काफी नहीं था
“सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I