में किस लिए यहाँ इस कदर जूझ रहा हूँ
जिंदगी बता,
में तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ
Enjoy Every Movement of life!
में किस लिए यहाँ इस कदर जूझ रहा हूँ
जिंदगी बता,
में तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ
MANZIL HAI DUR BAHUT
KOSHISH MAGAR KAR TO SAHI
MANA MUSHKIL HAI SAFAR
EK KADAM CHAL KE DEKH TO SAHI
– AMRUTA
मैं मुकम्मल होके भी अधूरा ही रहा हु ,
तमाम आजमइशों के बाद भी अकेला ही रहा हु ।
मैं हर बार करता रहा जिसकी हसी की दुआ
बदले मे इसके हर बार रोता रहा हूँ ।
हर बार बेवजह रूठता है कोई मुझसे
लाख कोशिशों के बाद भी खुद को खोटा रहा हूँ ।
मेरी कोशीशे मिटा रही है तमाम जख्मो को मेरे ,
दूसरी तरफ जज़बातो की आड़ मे एनहे खुरेद रहा हूँ ।